गुरुवार, 9 नवंबर 2017

सूचना प्रौद्योगिकी

सूचना प्रौद्योगिकी 

- सूचना प्रौद्योगिकी तकनीकी शब्दावली युक्त ऐसी संकल्पना है जो सूचनाओं के संजाल का नित नूतन तकनीक के माध्यम से विकास को रेखांकित करती है। भाषा के समस्त संरचनाओं का तकनीकी करण सूचना प्रौद्योगिकी का एक अभिन्नतम अंग है।

सूचना प्रौद्योगिकी व्याख्या

                            
भाषा, अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है। भाषा मानव जीवन का अभिन्न अंग है। संप्रेषण के द्वारा ही मनुष्य सूचनाओं का आदान प्रदान एवं उसे संग्रहित करता है। सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक अथवा राजनीतिक कारणों से विभिन्न मानवी समूहों का आपस में संपर्क बन जाता है। गत शताब्दी में सूचना और संपर्क के क्षेत्र में अद्भुत प्रगति हुई है। इलेक्ट्राॅनिक माध्यम के फलस्वरूप विश्व का अधिकांश भाग जुड गया है। सूचना प्रौद्योगिकी क्रांती ने ज्ञान के द्वार खोल दिये है। बुद्धि एवं भाषा के मिलाप से सूचना प्रौद्योगिकी के सहारे आर्थिक संपन्नता की ओर भारत अग्रसर हो रहा है। इलेक्ट्राॅनिक वाणिज्य के रूप में ई-कॉमर्स, इंटरनेट द्वारा डाक भेजना, ई-मेल द्वारा संभव हुआ है। ऑनलाईन सरकारी कामकाज विषयक ई-प्रशासन, ई-बैंकिंग द्वारा बैंक व्यवहार ऑनलाईन, शिक्षा सामग्री के लिए ई-एज्यूकेशन आदि माध्यम से सूचना प्रौद्योगिकी का विकास हो रहा है। सूचना प्रौद्योगिकी के बहु आयामी उपयोग के कारण विकास के नये द्वार खुल रहे हैं। भारत में सूचना प्रौद्योगिकी का क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहा है। इस क्षेत्र में विभिन्न प्रयोगों का अनुसंधान करके विकास की गति को बढाया गया है। सूचना प्रौद्योगिकी में सूचना, आँकडे (डेटा ) तथा ज्ञान का आदान प्रदान मनुष्य जीवन के हर क्षेत्र में फ़ैल गया है। हमारी आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक, व्यावसायिक तथ अन्य बहुत से क्षेत्रों में सूचना प्रौद्योगिकी का विकास दिखाई पड़ता है। इलेक्ट्रानिक तथा डिजीटल उपकरणों की सहायता से इस क्षेत्र में निरंतर प्रयोग हो रहे हैं। आर्थिक उदारतावाद के इस दौर के वैश्विक ग्राम (ग्लोबल विलेज) की संकल्पना संचार प्रौद्योगिकी के कारण सफ़ल हुई है। इस नये युग में ई-कॉमर्स, ई-मेडीसिन, ई-एज्यूकेशन, ई-गवर्नंस, ई-बैंकिंग, ई-शॉपिंग आदि इलेक्ट्राॅनिक माध्यमों का विकास हो रहा है। सूचना प्रौद्योगिकी आज शक्ति एवं विकास का प्रतीक बनी है। कंप्यूटर युग के संचार साधनों में सूचना प्रौद्योगिकी के आगमन से हम सूचना समाज में प्रवेश कर रहे हैं। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के इस अधिकतम देन के ज्ञान एवं इनका सार्थक उपयोग करते हुए, उनसे लाभान्वित होने की सभी को आवश्यकता है।

1. सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित संक्षिप्त विश्वकोश में -

सूचना प्रौद्योगिकी को सूचना से संबद्ध माना गया है। इस प्रकार के विचार डिक्शनरी ऑफ़ कंप्यूटिंग में भी व्यक्त किए गए है। मैकमिलन डिक्शनरी ऑफ़ इनफ़ोर्मेशन टेक्नोलाॅजी में सूचना प्रौद्योगिकी को परिभाषित करते हुए यह विचार व्यक्त किया गया है कि कंप्यूटिंग और दूरसंचार के संमिश्रण पर आधारित माईक्रो-इलेक्ट्रानिक्स द्वारा मौखिक, चित्रात्मक, मूलपाठ विषयक और संख्या संबंधी सूचना का अर्जन, संसाधन (प्रोसेसिंग), भंडारण और प्रसार है।

2.
अमेरिकी रिपोर्ट के अनुसार सूचना प्रौद्योगिकी को इन शब्दों मे परिभाषित किया गया है-

सूचना प्रौद्योगिकी का अर्थ है, सूचना का एकत्रिकरण, भंडारण, प्रोसेसिंग, प्रसार और प्रयोग। यह केवल हार्डवेअर अथवा सॉफ़्टवेअर तक ही सीमित नहीं है। बल्कि इस प्रौद्योगिकी के लिए मनुष्य की महत्ता और उसके द्वारा निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करना, इन विकल्पों के निर्माण में निहित मूल्य, यह निर्णय लेने के लिए प्रयुक्त मानदंड है कि क्या मानव इस प्रौद्योगिकी को नियंत्रित कर रहा है। और इससे उसका ज्ञान संवर्धन रहा है।

3.
युनेस्को के अनुसार सूचना प्रौद्योगिकी की परिभाषा -

सूचना प्रौद्योगिकी, "वैज्ञानिक, प्रौद्योगिकीय और इंजीनियरिंग विषय है। और सूचना की प्रोसेसिंग, उनके अनुप्रयोग की प्रबंध तकनीकें है। कंप्यूटर और उनकी मानव तथा मशीन के साथ अंत:क्रिया एवं संबद्ध सामाजिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक विषय।'

4.
डॉ जगदिश्वर चतुर्वेदी ने सूचना प्रौद्योगिकी के सूचना तकनीकी शब्द को परिभाषित करते हुए लिखा है -

सूचना तकनीकी (प्रौद्योगिकी) का किसी भी उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया जाए वह वस्तुत: उपकरण तकनीक है। यह सूचनाओं को अमूर्त संसाधन के रूप में मथती है। यह 'हार्डवेअर और सॉफ़्टवेअर' दोनों पर आश्रित है। इसमें उन तत्वों का समावेश भी है जो "हार्डवेअर और सॉफ़्टवेअर' से स्वतंत्र है।
5.
सूचना प्रौद्योगिकी के अंतर्गत वे सब उपकरण एवं पद्धतियाँ सम्मिलित हैं, जो "सूचना' के संचालन में काम आते हैं। यदि इसकी एक संक्षिप्त परिभाषा देनी हो, तो कहेंगे -
"
सूचना प्रौद्योगिकी एक ऐसा अनुशासन है जिसमें सूचना का संचार अथवा आदान प्रदान त्वरित गति से दूरस्थ समाजों में, विभिन्न तरह के साधनों तथा संसाधनों के माध्यम से सफ़लता पूर्वक किया जाता है।'
6.
सूचना प्रौद्योगिकी के संदर्भ में हम जब सूचना शब्द का प्रयोग करते है, तब यह एक तकनीकी पारिभाषिक शब्द होता है। वहाँ सूचना के संदर्भ मे "आँकडा (data) और "प्रज्ञा' "विवेक' "बुद्धिमत्ता' (intelligence) आदि शब्दों का भी प्रयोग मिलता है। प्रौद्योगिकी ज्ञान की एक ऐसी शाखा है, जिसका सरोकार यांत्रिकीय कला अथवा प्रयोजन परक विज्ञान अथवा इन दोनों के समन्वित रूप से है।

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भारत में सूचना प्रौद्योगिकी सर्वाधिक रोजगार प्रदान करने वाले क्षेत्रों में से एक बन गया है।

भारत में सूचना प्रौद्योगिकी के महत्वपूर्ण पहल

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रेलवे टिकट एवं आरक्षण का कम्प्यूटरीकरण
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बैंकों का कम्प्यूतारीकरण एवं एटीएम की सुविधा
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इंटरनेट से रेल टिकट, हवाई टिकट का आरक्षण
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इंटरनेट से एफआईआर
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न्यायालयों के निर्णय आनलाइन उपलब्ध कराये जा रहे हैं.
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किसानों के भूमि रिकार्डों का कम्प्यूटरीकरण
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इंजीनियरिंग में प्रवेश के लिए आनलाइन आवेदन एवं आनलाइन काउंसिलिंग
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आनलाइन परीक्षाएं
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कई विभागों के टेंडर आनलाइन भरे जा रहे हैं.
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पासपोर्ट, गाडी चलाने के लाइसेंस आदि भी आनलाइन भरे जा रहे हैं.
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कई विभागों के 'कांफिडेंसियल रिपोर्ट' आनलाइन भरे जा रहे हैं.
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शिकायेतें आनलाइन की जा सकतीं है.
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सभी विभागों कई बहुत सारी जानकारी आनलाइन उपलब्ध है. [[सूचना का अधिकार' के तहत भी बहुत सी जानकारी आनाइन दी जा रही है.
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आयकर की फाइलिंग आनलाइन की जा सकती है.
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पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारतीय प्रतिभाओं की भारी मांग ने भारत को एशिया प्रशांत क्षेत्र में सबसे तेज गति से विकास करने वाला सूचना प्रोद्योगिकी बाजार बना दिया है।
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सूचना प्रौद्योगिकी, वर्तमान समय में वाणिज्य और व्यापार का अभिन्न अंग बन गयी है। संचार क्रान्ति के फलस्वरूप अब इलेक्ट्रानिक संचार को भी सूचना प्रौद्योगिकी का एक प्रमुख घटक  माना जाने लगा है, और इसे सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (Information and Communication Technology, ICT) भी कहा जाता है।
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सूचना प्रौद्योगिकी का महत्त्व

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सूचना प्रौद्योगिकी, सेवा अर्थतंत्र (Service Economy) का आधार है।
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पिछड़े देशों के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए सूचना प्रौद्योगिकी एक सम्यक तकनीकी (appropriate technology) है।
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गरीब जनता को सूचना-सम्पन्न बनाकर ही निर्धनता का उन्मूलन किया जा सकता है।
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सूचना-संपन्नता से सशक्तिकरण (empowerment) होता है।
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सूचना तकनीकी, प्रशासन और सरकार में पारदर्शिता लाती है, इससे भ्रष्टाचार को कम करने में सहायता मिलती है।
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सूचना तकनीक का प्रयोग योजना बनाने, नीति निर्धारण तथा निर्णय लेने में होता है।
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यह नये रोजगारों का सृजन करती है।
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सूचना प्रौद्योगिकी का प्रभाव

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सूचना प्रौद्योगिकी ने पूरी धरती को एक गाँव बना दिया है। इसने विश्व की विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं को जोड़कर एक वैश्विक अर्थव्यवस्था को जन्म दिया है। यह नवीन अर्थव्यवस्था  अधिकाधिक रूप से सूचना के रचनात्मक व्यवस्था व वितरण पर निर्भर है। इसके कारण व्यापार और वाणिज्य में सूचना का महत्व अत्यधिक बढ गया है।
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सूचना क्रान्ति से समाज के सम्पूर्ण कार्यकलाप प्रभावित हुए हैं - धर्म, शिक्षा (e-learning), स्वास्थ्य (e-health), व्यापार (e-commerce), प्रशासन, सरकार (e-govermance), उद्योग अनुसंधान व विकास, संगठन, प्रचार आदि सब के सब क्षेत्रों में कायापलट हो गया है । आज का समाज सूचना समाज कहलाने लगा है।
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ई - गवर्नेंस के लिए राज्य पुरस्कार


उद्देश्य

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मध्य प्रदेश सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा ई - गवर्नेंस के कार्यान्वयन में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने, के लिए हर साल पुरस्कार प्रस्तुत किया जाता है| इन पुरस्कारो की स्थापना  के मुख्य उद्येश्य्है :-

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प्रशासन के क्षेत्र में नवीन पहल एवम उपलब्धियों को पहचानना ।
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ई - गवर्नेंस की एप्लिकेशन की तकनिकी जानकारी,डिजाइन को प्रभावी तरीकों से लागू करने के हेतु जानकारी साझा करने हेतु पहल करना ।
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सफल ई गवर्नेंस परियोजनओ का प्रचार करना ।
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आई टी क्षेत्र मे अनुभवों का आदान प्रदान, समस्याओं को हल करने, जोखिम कम करने, एप्लिकेशन को सफलता पूर्वक क्रियांवित करने हेतु योजना बनाने में|



शिक्षा में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी हस्‍तक्षेप

"
जिस प्रकार संगमरमर के लिए शिल्‍प कला है उसी प्रकार मानवीय आत्‍मा के लिए शिक्षा है"
पिछले कुछ दशकों से प्रौद्योगिकी ने हर संभव मार्ग से हमारे जीवन को पूरी तरह बदल दिया है। भारत एक सफल सूचना और संचार प्रौद्योगिकी से सज्जित राष्‍ट्र होने के नाते सदैव सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग पर अत्‍यधिक बल देता रहा है, न केवल अच्‍छे शासन के लिए बल्कि अर्थव्‍यवस्‍था के विविध क्षेत्रों जैसे स्‍वास्‍थ्‍य, कृषि और शिक्षा आदि के लिए भी।
शिक्षा नि:संदेह एक देश की मानव पूंजी के निर्माण में किए जाने वाले सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण निवेशों में से एक और एक ऐसा माध्‍यम है जो न केवल अच्‍छे साक्षर नागरिकों को गढ़ता है बल्कि एक राष्‍ट्र को तकनीकी रूप से नवाचारी भी बनाता है और इस प्रकार आर्थिक वृद्धि की दिशा में मार्ग प्रशस्‍त होता है। भारत में ऐसे अनेक कार्यक्रम और योजनाएं, जैसे मुफ्त और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा, "सर्व शिक्षा अभियान", राष्‍ट्रीय साक्षरता अभियान आदि शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने के लिए सरकार द्वारा आरंभ किए गए हैं।
हाल के वर्षों में इस बात में काफी रुचि रही है कि सूचना और संचार प्रौद्योगिकी को शिक्षा के क्षेत्र में कैसे उपयोग किया जा सकता है। शिक्षा के क्षेत्र में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण योगदानों में से एक है अधिगम्‍यता पर आसान पहुंच संसाधन। सूचना और संचार प्रौद्योगिकी की सहायता से छात्र अब ई-पुस्‍तकें, परीक्षा के नमूने वाले प्रश्‍न पत्र, पिछले वर्षों के प्रश्‍न पत्र आदि देखने के साथ संसाधन व्‍यक्तियों, मेंटोर, विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं, व्‍यावसायिकों और साथियों से दुनिया के किसी भी कोने पर आसानी से संपर्क कर सकते हैं।
किसी भी समय-कहीं भी, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी की सर्वाधिक अनोखी विशेषता यह है कि इसे समय और स्‍थान में समायोजित किया जा सकता है। इसे ध्‍यान में रखते हुए सूचना और संचार प्रौद्योगिकी ने असमामेलित अधिगम्‍यता (डिजिटल अभिगम्‍यता) को संभव बनाया है। अब छात्र किसी भी समय अपनी सुविधानुसार ऑनलाइन अध्‍ययन पाठ्यक्रम सामग्री को पढ़ सकते हैं।
सूचना और संचार प्रौद्योगिकी आधारित शिक्षा आपूर्ति (रेडियो और टेलिविजन पर शैक्षिक कार्यक्रमों का प्रसारण) से सभी सीखने वाले और अनुदेशक को एक भौतिक स्‍थान पर होने की आवश्‍यकता समाप्‍त हो जाती है।
जब से सूचना और संचार प्रौद्योगिकी को एक शिक्षण माध्‍यम के रूप में उपयोग किया गया है, इसने एक त्रुटिहीन प्रेरक साधन के रूप में कार्य किया है, इसमें वीडियो, टेलिविजन, मल्‍टीमीडिया कम्‍प्‍यूटर सॉफ्टवेयर का उपयोग शामिल है जिसमें , ध्‍वनि और रंग निहित है। इससे छात्र सीखने की प्रक्रिया में गहराई से जुडते हैं।

वर्चुअल रिएलिटी

क्‍या है वर्चुअल रिएलिटी - 
वर्चुअल रिएलिटी एक ऐसी अाभासी दुनिया है जिसे कंप्‍यूटर सॉफ्टवेयर द्वारा बनाया जाता है, लेकिन आप इसका हिस्‍सा बन सकते हैं। वर्चुअल रिएलिटी का अनुभव लेने के लिये दृष्टि और ध्वनि का प्रयोग किया जाता है। जिन गेम्‍स को आप अब तक मोबाइल और कंप्‍यूटर पर खेला करते थे, वर्चुअल रिएलिटी के माध्‍यम से आप उनका हिस्‍सा बन सकते हैं। यह उससे भी कहीं आगे हैं। आप कमरे में बैठे-बैठे अंतरिक्ष की याञा पर जा सकते हैं। किसी कार को ड्राइव कर सकते हैं। गेंमिग की दुनिया में वर्चुअल रिएलिटी ने कमाल कर दिया है। इस नकली संसार को वास्‍तविक बनाने के लिये गेम डेवलपर्स ने कृत्रिम रूप से द्रश्‍य, आवाज, स्पर्श और गंध को शामिल किया है। जिससे वर्चुअल रिएलिटी गेम्‍स और भी वास्‍तविक लगते हैं। यूट्यूब पर 360 डिग्री वीडियो वर्चुअल रिएलिटी पर ही अाधारित हैं।

घर पर कैसे लें वर्चुअल रिएलिटी का अनुभव
अगर आप वर्चुअल रिएलिटी का अनुभव लेना चाहते हैं तो बस अापको खरीदना होगा गूगल कार्डबोर्ड यह बहुत ही सस्‍ता वर्चुअल रिएलिटी डिवाइस है जो आपके मोबाइल फोन के साथ जुडकर आपको वर्चुअल रिएलिटी की दुनिया में ले जायेगा। वीआर कार्डबोर्ड गूगल द्वारा लाॅन्च किया गया वर्चुअल रियालिटी प्लेटफाॅर्म है। इस कार्डबोर्ड से अाप घर में ही मोबाइल में एंटरटेनमेंट, वर्चुअल टूअर, एजुकेशन और वर्ड टूरिज्म का मजा ले पायेगें।

वीआर कार्डबोर्ड एप्स
साथ ही मोबाइल पर मजा लेने के लिये आपको डाउनलोड करनी होगी वीआर कार्डबोर्ड एप्स जो खासतौर पर गूगल कार्डबोर्ड के लिये डिजायन की गयी हैं।


·                     Google Cardboard डाउनलोड कीजिये, यह एप्‍लीकेशन अापको गूगल प्‍ले स्‍टोर से मिल जायेगी । इससे अाप गूगल अर्थ, स्‍ट्रीट व्‍यू और यूट्यूब 360 वीडियो का शानदार अनुभव प्राप्‍त कर पायेंगे।
·                     अगर आपको स्‍पेस में जाना चाहते हैं तो डाउनलोड कीजिये Titans of Space, यह आपको घर बैठे बैठे अंतरिक्ष की याञा पर ले जायेगा। 
·                     अगर आपको डायनोसोर से प्‍यार है तो यह एप्‍प आपके लिये ही बना है इसका नाम है Jurrasic VR 
·                     समु्द्री की गहराईयों की सैर करने के लिये आप Fish Schooling को डाउनलोड कर सकते हैं। 
·                     और अगर कभी रोलर कोस्टर पर नहीं बैठे और उसका अनुभव करना चाहते हैं तो डाउनलोड कीजिये VR Roller Coaster 

Virtual Reality VR हेड सेट की पूरी जानकारी
सबसे पहले हम बात करते है Virtual Reality का क्या मतलब है , रियल्टी मतलब की वो रियल है सच में है और Virtual मतलब कि सिर्फ दिखने में ही रियल है . अब Virtual Reality हेडसेट क्या होता है कि एक तरह का चस्मा मान लीजिए जिस पहने के बाद जो आपको उसके अंदर दिखाई देगा उस से आपको लगेगा की आप उस जगह पर है जो उस हेडसेट के अंदर दिख रही लेकिन असल में आप वंहा पर नहीं होंगे सिर्फ आपको महसूस होगा की आप वंहा है .
जैसा की फोटो में आप देख सकते है पहला फोटो है वो रियल है जंहा पर ये लड़की रियल में है लेकिन हेडसेट लगने के बाद उसे लग रहा है की वो कंही और है जैसा की दूसरी फोटो में दिखाया गया है.
अब बात करते है कि हेडसेट कितने टाइप के होते है और सब में क्या खास बात है , ये हेडसेट कई तरह के होते है. कुछ को पावर सप्लाई की जरूर होती हती जैसा की फोटो में दिखाया गया कुछ सिंपल होते है जो की मोबाइल के लिए होते है और उनको किसी भी एक्सटर्नल पावर सप्लाई की जरूरत नहीं पड़ती .
इन हेडसेट में सिर्फ आपको अपना मोबाइल लगाना है और आप इसका मजा ले सकते है ,Youtube पर आपको 360 Degree ki Videoमिल जाएगी . जिस अगर आप इस हेडसेट की मदद से देखोगे तो आपको अचे से पता चलेगा कि असल में Virtual realty क्या होता है .
मानलो आप अगर इस VR हेडसेट से किसी जगह की वीडियो देख रहे है जो की 360 डिग्री की विडियो है तो आपको लगेगा की आप उसी जगह पर हो क्योंकि 360 डिग्री की वीडियो में आपको लेफ्ट राइट टॉप टू बॉटम सब कुछ दिखाई देता है और इस वर हैसेट से ओ सब आप बड़ी ही आसानी से देख सकते है .

 Virtual Reality VR Head Set का इतिहास

Virtual Realtyकी शुरुआत गूगल कार्डबोर्ड से हुई थी .जैसा की नाम से ही पता चल रहा की ये कार्डबोर्ड से बना है , इसमें दो लेंस भी लगे हुए है और इस कार्डबोर्ड के सामने मोबाइल को लगाना पड़ता था और मोबाइल की स्क्रीन दो हिस्सो में बंट जाती है एक लेफ्ट और राइट क्योंकि इसमें दो लेंस है और हमें दोनों आँखों से देखना पड़ेगा.
लेकिन अब मार्किट में आपके बहुत तरह के VR हेडसेट मिल जायेंगे 200 रूपए से लेकर 10000 से भी ज्यादा कीमत के. कीमतइन की क्वालिटी के ऊपर डिपेंड है की कितना बढ़िया वर हेडसेट है , कार्डबोर्ड वाला आप्को 200 से 500 तक का मिल जायेगा और प्लास्टिक वाला आप्को 1000 से ऊपर मिलेगा और भी है जो आपको 10000 तक मिलेंगे . कुछ बढ़िया VR हेडसेट के नाम मैं बता देता हू जैसे Gear VR , Oculus Company के VR हेडसेट बहुत बढ़िया है और ये कंपनी वर पर बहुत सालों से काम भी कर रही है .

VR हेड सेट किस मोबाइल में सपोर्ट करता है


VR headset लगभग सभी एंड्राइड फ़ोन में काम करता है कुछ फ़ोन के साथ में ही VR का आप्शन आता है और कुछ में आप third पार्टी app को इनस्टॉल करके VR headset का इस्तेमाल कर सकते है .इसके लिए आप Google Play स्टोर पर VR app सर्च करके डाउनलोड एंड इनस्टॉल कर सकते है .

कन्वर्जेंस मीडिया

आधुनिक तकनीकों का संगम ही कन्वर्जन्स है। प्रसारण, केबल, कम्प्यूटरिंग, मल्टीमीडिया, नेटवर्क, उपग्रह, दूरसंचार का सम्मिश्रण कन्वर्जन्स अत्याधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी का वरदान है जिसने विश्वग्राम का स्वप्न चरितार्थ किया है। सन् 1939 में न्यूयार्क के एक मेले में एक टेलीविजन का सेट प्रदर्शित किया गया जो टीवी, रेडियो, रिकॉर्डर, प्लेबैक, फैक्स तथा प्रोजेक्टर का मिश्रण था। ऑडियो, वीडियो तथा डेटा को एक ही सूत्र में पिरोकर एक ही माध्यम द्वारा एक ही स्रोत से उपलब्ध करा पाने में सक्षम प्रक्रिया को ही कन्वर्जेन्स कहा जाये तो उचित है।

      कन्वर्जेन्स टेलीकम्यूनिकेशन, ब्रॉडकास्टिंग तथा कम्प्यूटर नेटवर्किंग को सम्मिलित कर एक ऐसे एकल डिजिटल नेटवर्क का निर्माण करता है जिसके द्वारा उपभोक्ता की आवश्यकताएं- टेलीफोन, फैक्स, टेलीविजन, इंटरनेट, वीडियोफोन, मूवी, संगीत, मनोरंजन आदि एक ही स्रोत से पूरी की जाती है।

      कन्वर्जन का प्रमुख उद्देश्य उपलब्ध विभिन्न जनोपयोगी तकनीकों को समेकित कर एक ऐसे एकल मध्यम द्वारा उपभोक्ताओं तक पहुंचाना है जिस पर कन्वर्जेंन्स की सहायता से विभिन्न सेवाएं एक साथ प्रदान की जा सकें। इसके अतिरिक्त डिजिटल मनोरंजन भी इसका एक प्रमुख हिस्सा है। अब जो कन्वर्जेन्स तकनीक प्रचलन में है उसमें इंटरनेट द्वारा वीडियो, मूवी, संगीत आदि का लुत्फ अपने होम थियेटर यानी कम्प्यूटर पर लिया जा रहा है।

      1980 से 1990 तक के दशक को संचार का दशक कहा जाये तो 1991 से 2000 तक के दशक को सूचना क्रान्ति का दशक कहा जा सकता है। इसी तरह 2001 से 2010 तक के दशक को इलेक्ट्रानिक कन्वर्जेन्स (ई-कन्वर्जेन्स) कहा जायेगा, क्योंकि इसमें कई प्रकार की सेवाओं का पूरे तालमेल के साथ समन्वय हो जाएगा। कन्वर्जेन्स का अर्थ है  सभी स्तरों पर परिवर्तन यानी टेक्नोलॉजी, अंतर्वस्तु, प्रसार-क्षेत्र और विपणन जैसे विीन्न क्षेत्रों में बदलाव। कन्वर्जेन्स को सूचना समाज के निर्माण में सहायक माना जाता है, इसमें समाज पर दूरगामी प्रभाव डालने की क्षमता है।

      विभिन्न टेक्नोलॉजी को समन्वित रूप् से एक ही लक्ष्य की दिशा में अभिमुख कर सूचना टेक्नोलॉजी और प्रसारण सेवाओं को एक ही चैनल यानी सरणि से ग्राहकों व उपयोगकर्ताओं तक पहुंचाया जा सकता है। एक जमाना था जब एक टेक्नोलॉजी का केवल एक उपयोग संभव था, यह उपयोगी भी किसी खास कार्य के लिए किया जाता था, परम्परा से ही विभिन्न संचार माध्यमों का अपना अलग-अलग अस्तित्व रहा है। प्रसारण, टेलीपफोन और ऑनलाइन कम्प्यूटर सेवाओं का अपना-अपना अलग दायरा था, ये अलग-अलग नेटवर्क पर कार्य करते थे और इनमें विभिन्न प्लेटफार्म यानी मंचों का उपयोग होता था।

      कन्वर्जेन्स तीन मुख्य धाराओं से मिला होता है-
      1.  कंटेन्ट- आडियो, वीडियो, डेटा इत्यादि ... सूचना व मनोरंजन;
     2. प्लेटफार्म- पीसी, टीवी, इंटरनेट उपकरण, मोबाइल, फोन इत्यादि, ...प्लेटफार्म या उपकरण जिस पर उपभोक्ता कंटेन्ट प्राप्त करता है।
    3. वितरण या डिस्ट्रीव्यूशन- कंटेन्ट को उपभोक्ता उपकरणों (प्लेटफार्मो) पर पहुंचाने के लिए वितरण माध्यम।

     कन्वर्जेन्स के विकास में मनोरंजन या इंटरटेरमेंट कंटेन्ट महत्वपूर्ण है। वर्ल्ड वाइड वेब ने इस बात की आवश्यकता पर बल दिया कि किस प्रकार इसे कम्प्यूटरों के दायरे से निकाल कर मोबाइल फोन या टेलीविजन सेट पर भी पहुंचाया जाए, साथ ही तकनीकी विकास की उत्तरोत्तर वृद्धि के कारण इसने नये-नये अप्लीकेशनों द्वारा नये-नये मार्ग खोले; इसने कन्टेन्ट (डेटा, वीडियो, आडियो आदि) के नियंत्रण से लेकर पैकेजिंग तक के कार्य के लिए अनेक आयाम उत्पन्न कर दिये; उपभोक्ता वांछित संगीत आसानी से डाउनलोड कर मुफ्त में सुन सकता है। परंतु अब कन्वर्जेन्स में कनटेन्ट की अपेक्षा प्लेटफार्म (कम्प्यूटर, टीवी सेट, मोबाइल पफोन तथा अन्य इलेक्ट्रानिक उपकरणों) की उपलब्धता ने उपभोक्ताओं के समक्ष चयन की गुंजाइश प्रदान की है। जैसे-जैसे कन्वर्जेन्स विकसित हो रहा है वैसे-वैसे लोग अपनी-अपनी रणनीति निर्धारित कर रहे हैं।


     मीडिया तथा संचार तकनीकों के साथ-साथ इलेक्ट्रानिक उद्योग में आए तकनीकी परिवर्तनों ने कन्वर्जेन्स की अवधारणा को साकार रूप दिया है। सूचना, संगीत, मनोरंजन या ध्वनि आदि को प्रसारित करने क लिए एक ऐसे एकल माध्यम की आवश्यकता पर बल दिया जा रहा है, जिसके द्वारा गुणवत्तायुक्त सूचना, वीडियो, ऑडियो आदि को उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जा सके। कन्वर्जेन्स ने टेलीकम्प्यूनिकेशन, आईटी और ब्रॉडकास्टिंग तकनीकां का समागम कर उद्योग जगत के साथ-साथ उपभोक्ताओं को नये अवसर प्रदान किये हैं। भारत में कन्वर्जेन्स की दिशा में सकारात्मक प्रयास जारी हैं, जिसमें कसरकार द्वारा जारी कन्वर्जेन्स बिल- 2000 अत्यन्त महत्वपूर्ण है। कन्वर्जेन्स ने आम उपभोक्ता की जीवनचर्या में अभूतपूर्व परिवर्तन लाने के साथ-साथ विभिन्न सेवाओं को एक ही माध्यम पर सस्ते दामों पर उपलब्ध कराने की आशा उत्पन्न की है।

इंटरनेट पत्रकारिता

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   इंटरनेट पत्रकारिता का इतिहास:
   विश्व-स्तर पर इंटरनेट पत्रकारिता का विकास निम्नलिखित चरणों में हुआ-
    (प्रथम चरण------- १९८२ से १९९२
    (द्वितीय चरण------- १९९३ से २००१
    (तृतीय चरण------- २००२ से अब तक
 भारत में इंटरनेट पत्रकारिता का पहला चरण १९९३ से तथा दूसरा चरण  २००३ सेशुरू माना जाता है। भारत में सच्चे अर्थों में वेब पत्रकारिता करने वाली साइटें ’रीडिफ़डॉट कॉम’, इंडिया इफ़ोलाइन’  ’सीफ़ी’ हैं  रीडिफ़ को भारत की पहली साइट कहाजाता है   वेब साइट पर विशुद्ध पत्रकारिता  शुरू करने का श्रेय  ’तहलका डॉट्कॉमको जाता है।

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मंगलवार, 31 अक्टूबर 2017

नेहरू की नज़र में देशरत्न राजेन्द्र प्रसाद राष्ट्रपति के योग्य नहीं थे

आजादी के बाद देश को पहला राष्ट्रपति देने के लिए सिवान आज जो गर्व का अनुभव करता है, इसका पूरा श्रेय सरदार बल्लभ भाई पटेल को जाता है। पं. जवाहरलाल नेहरू ने तो ठान लिया था कि जैसे भी डॉ. राजेंद्र प्रसाद को राष्ट्रपति नहीं बनने देना है लेकिन बल्लभ भाई पटेल को ऐसे ही सरदार की उपाधि नहीं मिली। वे इतने असरदार थे कि पं. नेहरू की इच्छा सिवान की धरती पर जन्मे, यहां की मिट्टी में लोट-पोटकर बड़े हुए राजेंद्र बाबू को राष्ट्रपति बनवाकर ही दम लिया।
जीरादेई निवासी बच्चा ¨सह तथा जेपी सेनानी महात्मा भाई ने बताया कि राजेंद्र बाबू को जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रपति नहीं बनाना चाहते थे। जब औपबंधिक राष्ट्रपति नियुक्त करने की बात चल रही थी, तब नेहरू ने सी राजगोपालाचारी का नाम प्रस्तावित कर दिया था, जिसका अनुमोदन खुद डॉ.राजेंद्र प्रसाद करने के लिए उठ गए थे लेकिन सरदार पटेल द्वारा डांटकर बैठाने के बाद राजेंद्र बाबू चुप हो गए। सभा को समाप्त कर दिया गया। राजेंद्र बाबू जीरादेई चले आए। उधर पटेल जी ने देश भर के सभी बड़े नेताओं का हस्ताक्षर राजेंद्र बाबू को राष्ट्रपति बनाए जाने के पक्ष में कराया। 20 दिनों तक यह काम होता रहा। फिर राजेंद्र बाबू को खोजते-खोजते दिल्ली से अनुग्रह बाबू के साथ कुछ लोग जीरादेई आए और उनको मनाकर दिल्ली ले गए, जहां पर 26 जनवरी 1950 को उन्हें औपबंधिक राष्ट्रपति बनाया गया। महात्मा भाई बताते हैं कि उनकी माता जी भी देशरत्न के राष्ट्रपति बनने की कहानी बताती रही हैं। मां ने कहा था कि राजेंद्र बाबू को लेने के लिए दिल्ली से जो लोग आए थे, उनमें सरदार पटेल जरूर रहे होंगे। क्योंकि उस समय गांव में भी इसकी चर्चा खूब होती थी। लोग बताते थे कि जब तक सरदार पटेल लेने नहीं आएंगे, तब तक राजेंद्र बाबू दिल्ली नहीं जाएंगे। महात्मा भाई ने बताया कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद को राष्ट्रपति बनने से रोकने के लिए पं. नेहरू ने झूठ तक का सहारा लिया था। नेहरू ने 10 सितंबर 1949 को डॉ. राजेंद्र प्रसाद को पत्र लिखकर कहा कि उन्होंने (नेहरू) और सरदार पटेल ने फैसला किया है कि सी. राजगोपालाचारी को भारत का पहला राष्ट्रपति बनाना सबसे बेहतर होगा। नेहरू ने जिस तरह से यह पत्र लिखा था, उससे डॉ.राजेंद्र प्रसाद को घोर कष्ट हुआ और उन्होंने पत्र की एक प्रति सरदार पटेल को भिजवाई। वे उस वक्त मुंबई में थे। कहते हैं कि सरदार पटेल उस पत्र को पढ़ कर सन्न थे, क्योंकि उनकी इस बारे में नेहरू से कोई चर्चा ही नहीं हुई थी। इसके बाद डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 11 सितंबर 1949 को नेहरू को पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि पार्टी में उनकी जो स्थिति रही है, उसे देखते हुए वे बेहतर व्यवहार के पात्र हैं। नेहरू को जब यह पत्र मिला तो उन्हें लगा कि उनका झूठ पकड़ा गया। अपनी फजीहत कराने के बदले उन्होंने अपनी गलती स्वीकार करने का निर्णय लिया।
जामापुर निवासी अति बुजुर्ग बांके बिहारी ¨सह ने राजेंद्र बाबू के राष्ट्रपति बनने के घटनाक्रम को अपनी डायरी में अंकित किया है। डायरी के पन्नों को पलटते हुए उन्होंने बताया कि सरदार पटेल ने पं. नेहरू को खुली चुनौती दी थी कि कार्यसमिति की बैठक में प्रस्ताव रखा जाए, जिसके पक्ष में ज्यादा समर्थक होंगे, उसे राष्ट्रपति बनाया जाएगा। नेहरू जानते थे कि कार्यसमिति के तीन चौथाई सदस्य डॉ. राजेंद्र प्रसाद के पक्ष में हैं तो उन्होंने चुप रहने में ही अपनी भलाई समझी।