सोमवार, 10 सितंबर 2018

125 वर्ष बाद भी विवेकानंद के विचारों को स्वीकारने की जरूरत

शिशिर बड़कुल


   11 सितंबर 1893 का वह दिन जब अमेरिका के शिकागो में आयोजित धर्म संसद में 30 वर्ष के भगवा वस्त्र पहने एक युवक ने भारत काप्रतिनिधित्व करते हुए जब सदन में अपनी बात रखना प्रारंभ की  तब उस युवक ने उद्बोधन की शुरुआत में कहा मेरे अमेरिकी भाई-बहनोंतब कई मिनट तक सभागार तालियों की आवाज से गूंजता रहा  महान भारत की प्राचीनतम संस्कृति की ओर से सबको नमस्कार करनेवाले एवं सनातन संस्कृति का दुनिया के समक्ष मात्र दो प्रारंभिक पंक्ति से परिचय कराने वाले उस युवक का नाम दुनिया ने स्वामीविवेकानंद के नाम से जाना  कम उम्र में ही अध्यात्म और विज्ञान को समरूपता देने वाले वेद पुराणों का अध्ययन कर स्वामी विवेकानंदशिकागो की धर्म सभा सम्मेलन में अखंड एवं विश्व गुरु भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे थे विश्व के सभी देशो सभी धर्म संप्रदाय के गुरुओंको विवेकानंद की शुरुआती पंक्तियों ने सोचने पर विवश किया साथ ही उन सभी की आस्थाओं पर निश्चित ही प्रश्न चिन्ह लगाया होगा जब उन्होंने कहा कि सभी धर्मों की जननी की तरफ से मैं आप का आभार व्यक्त करता हूं  आज स्वामी विवेकानंद के उस भाषण को 125वर्ष पूर्ण हुए  जिस भाषण ने विश्व को बताया कि ज्ञान की जन्मभूमि और अध्यात्मिक की महान जननी कोई है तो भारत है  एक संदेशथा जिस ने बताया कि ज्ञान और आपकी स्पष्ट,स्वच्छ एवं दूरदर्शिता के आगे बड़े से बड़े ज्ञानी महात्माओं के मापदंड बोने पड़ जाते हैं बशर्ते जरूरी है कि आपके विचारों में कितना सकारात्मक और दूरगामी परिणाम निहित है 

     स्वामी विवेकानंद ने कहा कि हम सिर्फ सार्वभौमिकता एवं सहनशीलता में विश्वास नहीं रखतेबल्कि हम विश्व के सभी धर्मों को सत्यके रूप में स्वीकार करते हैं  वर्तमान समय में विवेकानंद के संदेश को सबसे अधिक समझने एवं स्वीकार करने की जरूरत है  सदैव दूसरोंकी आस्था का सम्मान करते हुए हमें सांप्रदायिकता से ऊपर उठकर सोचना होगातभी हम स्वामी विवेकानंद के उस भारत का निर्माण करपाएंगेजिसकी कल्पना सदैव उनके विचारों में रही है  स्वयं सब जगह विद्यमान रहते हुए दूसरों का स्वीकार्यता का भाव ही निश्छलभारतीय भाव है 

     स्वामी विवेकानंद ने कहा कि मुझे गर्व है कि मैं ऐसे देश से हूं जिसने इस धरती के सभी देशों में धर्मों के परेशान  सताए लोगों कोशरण दी  रोमन हमलावारों के बाद इस्रायलीइयों को दक्षिण भारत में शरण दीमहान पारसी धर्म के लोगों को शरण देकर उनका पालनकिया  विवेकानंद द्वारा कही इन पंक्तियों में अभिमान का भाव नहीं बल्कि उन्होंने भारतीयता में निहित अपार उदार हृदय से विश्व कोपरिचय कराया था  स्वामी जी ने संदेश दिया कि उदारता और दयालुता हमारे संस्कारों में निहित है  आज का युवा इस दिशा में काम तोकरता है वरन जरूरी है कि मानसिक संतुलन एवं उदारता का अनुपात व्यवस्थित हो,  अभिमान का भाव जिसे छू भी ना सके 

    स्वामी विवेकानंद ने गीता के कुछ श्लोक दोहराते हुए कहा कि जिस तरह अलग अलग स्रोतों से निकली विभिन्न नदियां अंत में समुद्रमें जाकर मिलती है  उसी तरह मनुष्य अपनी इच्छा अनुसार अलग-अलग मार्ग चुनता हैरास्ता कोई भी हो अंत में भगवान तक ही जातेहैं  कर्मअनुसार मानव जीव को चार वर्गों विभाजित किया गया धर्म अर्थ काम मोक्ष  जब अंत में हम प्रभु तक जाना है मोक्ष प्राप्ति कीओर अग्रसर होना है तो क्यों ना हम जीवित रहते तक धर्म निहित कर्म करेंक्योंकि हमारा रास्ता कोई भी हो जब जाना उस तक है तोसदैव निर्मल विचारों के साथ सत्कर्म एवं सेवा कर्म करे क्योंकि यही हमारा सच्चा मानव धर्म है और यही हमारी संस्कृति की शिक्षा है 

   स्वामी विवेकानंद ने आगे कहा कि सांप्रदायिकताकट्टरता और इसके भयानक वंशज हठधर्मिता लंबे समय से पृथ्वी को अपने शिकंजे मेंजकड़े हुए हैं  उन्होंने पृथ्वी को हिंसा से भर दिया है  कितनी बार ही यह धरती खून से लाल हुई हैकितनी ही सभ्यताओं का विनाश हुआहै , और ना जाने कितने देश नष्ट हुए हैं  अगर ये भयानक राक्षस नहीं होते तो आज मानव समाज कहीं ज्यादा उन्नत होता  विवेकानंदजी की इन पंक्तियों में कुछ ऐसा नहीं जो हमें समझ ना आए बस जरूरत है इन में छुपी मार्मिकता और इतिहास की सच्चाई को समझनेकी  आज पुरे भारत में कहीं भी किसी भी स्थान पर युवाओं की बात होती हैतो सर्वप्रथम हम स्वामी विवेकानंद को याद करते हैं  किसीको अपना आदर्श एवं मार्गदर्शक कहने मात्र से इन शब्दों की पूर्णता नहीं आतीहम अगर स्वामी विवेकानंद को आदर्श मानते हैं तो युवाभारतीय होने की सार्थकता होगी कि हम विवेकानंद की दी गई शिक्षा को समझ कर आत्मसात करें  इस बात से हम कतई नकार नहींसकते कि आज भारत जल रहा है धर्म के नाम परजाति के नाम परसांप्रदायिकता के नाम पर  तो कहां गई उस महान व्यक्तित्व कीशिक्षा जिसे हम युवाओं के प्रेरणास्रोत कहते हैं  विचारणीय बात तो यह है कि हम जिस भी भगवान को मानेजिस भी महापुरुष को आदर्शमानेजिस का भी अनुसरण करें क्या उन्होंने कभी कहा था कि धर्म जाति के नाम पर हम कट्टरता में लिप्त होकर आपस में बट जाएं  जोबात आज से 125 वर्ष पूर्व स्वामी विवेकानंद ने विश्व की धर्म सभा में गर्व से कही थीजिससे पूरी दुनिया में पुनः भारत को संस्कार एवंसंस्कृति की जननी के रूप में स्वीकार किया था  तो आज कहां गया हमारा वह अभिमान जिस पर हमारे पूर्वज हमारे आदर्श विवेकानंद कोनाज था।  क्या हमारी सोच का दायरा इतना संकुचित और स्वार्थी हो गया है कि हम आपस में एक ही परिवार में लड़ रहे हैं ?

     आज स्वामी विवेकानंद की ऐतिहासिक शिकागो भाषण के 125 वर्ष पूर्ण हो चुके हैंपर हमें आज भी जरूरत है उनकी दी गई शिक्षा कोअपनाने की उनके कहे हर एक शब्द हर एक वाक्य में भारत की प्राचीनतम संस्कृति एवं महान संस्कार निहित था । आज भी हम एकाग्रतासे उन्हें समझेंगे तो जानेंगे कि हम कितने सौभाग्यशाली हैं जो भारत में जन्म लिया जिसकी प्राचीनतम संस्कृति के आगे पूरा विश्वनतमस्तक है। वर्तमान समय में महती की आवश्यकता है कि हमें विवेकानंद की शिक्षा को समझना होगा जो हमें विश्वगुरु भारत का दर्जादिलाती है  धर्म और संस्कृति की जननी भारत सदैव ज्ञान का स्रोत रही हैहमें अगर स्वयं में विवेकानंद का निर्माण करना है तो जरुरी हैकि देश को प्रथम रख - सांप्रदायिकता को पृथक कर -  अपने संस्कारों का अनुसरण कर महान संस्कृति के वाहक बनें ।।

   
    ( लेखक भारतीय जनता युवा मोर्चा मध्यप्रदेश में प्रदेश सह मीडिया प्रभारी है)

सोमवार, 6 अगस्त 2018

इंटरनेट से संबंधित प्रश्न

1. भारत में इंटरनेट सेवा प्रारंभ करने वाली निजी क्षेत्र की पहली कम्पनी कौन-सी है?
उत्तर :- सत्यम इंफो वे
2. Email के जन्मदाता कौन हैं?
उत्तर :- रे .टॉमलिंसन
3. फ्री ई-मेल सेवा हाटमेल ( Hot mail ) के जन्मदाता कौन हैं?
उत्तर :- सबीर भाटिया
4. बर्ल्ड वाइड बेव ( www ) के आविष्कारक कौन हैं?
उत्तर :- टिम वर्नर्स-ली
5. इंटरनेट का पहला सफल सॉफ्टवेयर कौन-सा है? 
उत्तर :- मोजेक (MOSAIC)
6. देश का प्रथम साइबर अपराध पुलिस स्टेशन कहाँ है?
उत्तर :- कटक ( ओडिशा )
7. http का full form क्या है?
उत्तर :- Hyper Text Transfer protocol
8. भारत की पहली ऐसी पार्टी कौन-सी है, जिसने इंटरनेट पर अपनी वेबसाइट बनाई।
उत्तर :- भारतीय जनता पार्टी (BJP)
9. वह भारतीय राज्य जिसने पहली बार इंटरनेट पर राज्य की टेलीफोन डाइरेक्टरी उपलब्ध कराई?
उत्तर :- सिकिकम
10. गूगल, याहू, एमएसएन व रैडिफ क्या है?
उत्तर :- इंटरनेट सर्च इंजन
11. विश्व का सबसे बड़ा कम्प्यूटर नेटवर्क का नाम क्या हैं?
उत्तर :- इंटरनेट
12. इंटरनेट में प्रयुक्त www का पूरा रूप क्या है?
उत्तर :- World Wide Web
13. किस प्रणाली में इंटरनेट द्वारा व्यापार किया जाता है?
उत्तर :- ई-कॉमर्स में
14. E-Mail का पूरा रूप क्या है?
उत्तर :- Electronic Mail
15. वह प्रथम पत्र-पत्रिकाएं जो इंटरनेट पर उपलब्ध हुई?
उत्तर :- द हिन्दू ( पत्र ) व इणिडया टूडे ( पत्रिका )
16. आनलाइन वोटिंग की सुविधा उपलब्ध कराने वाला भारत का पहला राज्य कौन-सा है?
उत्तर :- गुजरात
17. इंटरनेट का जन्मदाता किसे कहा जाता है?
उत्तर :- विंटन जी. सर्फ को
18. भारत में इंटरनेट सेवा का प्रारंभ कब हुआ?
उत्तर :- 15 अगस्त, 1995
19. भारत में इंटरनेट उपलब्ध कराने वाली पहली कम्पनी कौन-सी हैं?
उत्तर :- विदेश संचार निगम लि. (VDNL)
20. इंटरनेट का आरंभ 1969 में किस विभाग द्वारा अर्पानेट (ARPANET–Advanced Research Project Agency Net) द्वारा किया गया?
उत्तर :- अमेरिकी रक्षा विभाग
21. कैरियर सलाह से सम्बनिधत हिन्दी की पहली वेबसाइट कौन-सी है?
उत्तर :- कैरियर सलाह डॉट कॉम।
22. ई-कोर्ट की अवधारणा लागू करने वाला भारत का प्रथम उच्च न्यायालय कौन-सा है?
उत्तर :- दिल्ली उच्च न्यायालय।
23. इंटरनेट पर विश्व का प्रथम उपन्यास का नाम बताएं?
उत्तर :- राइडिंग द बुलेट

इंटरनेट का इतिहास

  • 1969 इंटरनेट अमेरिकी रक्षा विभाग के द्वारा UCLA के तथा स्टैनफोर्ड अनुसंधान संस्थान कंप्यूटर्स का नेटवकिर्ंग करके इंटरनेट की संरचना की गर्इ। शुरू में इसे अर्पानेट (ARPANET) कहा गया। अमेरिका रक्षा विभाग ने सैन्य एवं नागरिक अनुसंधानकर्ताओं को रक्षा योजनाओं के बारे में सूचनाएँ भिजवाने के लिए इसकी स्थापना की।
  • 1979 में ब्रिटिश डाकघर ने पहला अंतरराष्ट्रीय कंप्यूटर नेटवर्क बना कर नर्इ प्रौद्योगिकी का उपयोग करना आरम्भ किया।
  • 1980 में बिल गेट्स का आर्इबीएम के कंप्यूटर्स पर एक माइक्रोसॉफ्ट अॉपरेटिंग सिस्टम लगाने के लिए सौदा हुआ।
  • 1983 में अर्पानेट को दो नेटवर्कों में बँट गया, जो आपस में जुड़ हुए थे - अर्पानेट और मिलनेट (MILNET)। यहीं से इंटरनेट की औपचारिक शुरूआत मानी जाती है।
  • 1984 एप्पल ने पहली बार फाइलों और फोल्डरों, ड्रॉप डाउन मेनू, माउस, ग्राफिक्स का प्रयोग आदि से युक्त आधुनिक सफल कम्प्यूटर लांच किया।
  • आरम्भिक काल में इंटरनेट का उपयोग केवल सेना से सम्बन्धित अनुसंघानों तथा क्रियाकलापों के लिए ही स्वीकृत था लेकिन 1986 में NSFNET(National Science Foundation Network) नामक एक नेटवर्क इंटरनेट से सम्बद्ध हो गया और धीरे-धीरे इसने दुनिया भर के लिए अपने द्वार खोल दिए।
  • 1989 टिम बेर्नर ली ने इंटरनेट पर संचार को सरल बनाने के लिए ब्राउजरों, पन्नों और लिंक का उपयोग कर के वल्र्ड वाइड वेब बनाया।
  • 1996 गूगल ने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में एक अनुसंधान परियोजना शुरू किया जो कि दो साल बाद औपचारिक रूप से काम करने लगा। · 2009 डॉ स्टीफन वोल्फरैम ने वाल्फैरम अल्फा लांच किया।
  • भारत में अंतरजाल 80 के दशक मे आया, जब एर्नेट (educational & research network) को सरकार, इलेक्ट्रानिकस विभाग और संयुक्त राष्ट्र उन्नति कार्यक्रम (UNDP)की ओर से प्रोत्साहन मिला तथा सामान्य उपयोग के लिये जाल 15 अगस्त 1995 से उपलब्ध हुआ, जब विदेश सचांर निगम सीमित (VSNL) ने गेटवे सर्विस शुरू की।



  • अन्य वर्गीकरण 

  • 1972
  • इंटरनेट वर्किंग ग्रुप (INWG) बढ़ते नेटवर्क के लिए मानक बनाने के लिए बनाया गया इसका प्रथम अध्यक्ष विंटन सर्फ (Vinton Cerf) को बनाया गया जिन्हें कि आगे जाकर इंटरनेट का पितामह कहा गया|
    1973
    अमेरिका से बाहर लंदन स्थित यूनिवर्सिटी कॉलेज तथा नार्वे स्थित रॉयल रडार संस्थान के कंप्यूटर ARPANET से जोड़े गए|
    1974 से 1981
    ARPANET सैन्य रिसर्च से बाहर आया तथा सामान्य लोगों को इसी अवधि में यह पता लगा कि कंप्यूटर नेटवर्क का आम जीवन में किस प्रकार का उपयोग संभव है|
    1974
    TELNET का विकास हुआ तथा अरपानेट का वाणिज्यिक उपयोग संभव हुआ
    1975
    स्टोर एवं फॉरवर्ड प्रकार के नेटवर्क बनाए गए ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ ने पहली बार ईमेल भेजा
    1976
    यू यू सी पी (Unix to Unix Copy) AT&T Bell Laboratory द्वारा विकसित किया गया जिसे कि बाद में यूनिक्स ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ बेचा गया
    1977
    UUCP का उपयोग करते हुए THEORYNET बनाया गया जिसके द्वारा 100 से अधिक रिसर्च कार्य में लगी वैज्ञानिकों को ईमेल की सुविधा उपलब्ध कराई गई|
    1979
    DUKE विश्वविद्यालय के Tom Truscott व Jim Ellis तथा नॉर्थ कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के Steev Velowin ने प्रथम यूज़नेट न्यूज़ ग्रुप बनाया| इस न्यूज़ ग्रुप में कोई भी भाग लेकर धर्म राजनीति विज्ञान तथा अन्य किसी भी विषय के संबंध में आपस में चर्चा कर सकते थे|
    1981
    अरपानेट के 213 होस्ट कंप्यूटर हो गए थे तथा औसतन लगभग 20 दिनों बाद एक HOST कंप्यूटर जुड़ने लगा
    1982 से 1987
    इसी अवधि में इंटरनेट शब्द का प्रयोग अरपानेट के स्थान पर हुआ तथा Vinton Cerf तथा Bob Kahn ने इंटरनेट से जुड़े समस्त कंप्यूटरों के लिए एक समान प्रोटोकॉल का विकास किया जिससे कंप्यूटर सरलता से सूचना का आदान प्रदान कर सके| लगभग इसी समय पर्सनल कंप्यूटर व अन्य सस्ते कंप्यूटर का विकास हुआ| जिसके फलस्वरुप इंटरनेट का अधिक तेजी से विकास हुआ|
    1982
    समस्त इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के लिए एक समान प्रोटोकॉल टीसीपी आईपी (ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल/इंटरनेट प्रोटोकॉल) का विकास हुआ| इंटरनेट नाम पहली बार प्रयुक्त किया गया|
    1983
    ARPANET दो भागों में मिली नेट तथा ARPANET में विभक्त किया गया|
    1984
    • डोमेन नेम सर्वर प्रणाली का विकास किया गया|
    • JUNET (जापान यूनिक्स नेटवर्क) UUCP का उपयोग करते हुए बनाया गया|
    • इंटरनेट के होस्ट कंप्यूटरों की संख्या 1000 से ऊपर हो गई |
    • पहली बार साइबरस्पेस का नाम इंटरनेट को दिया गया|
    1986
    NSFNET व FREENET का विकास हुआ
    1987
    इंटरनेट होस्ट कंप्यूटर की संख्या 10000 से अधिक हो गई UUNET निर्मित किया गया| जिससे कि यू यू सी पी और यूज़नेट का वाणिज्यिक उपयोग आरंभ हुआ
    1988 से 1990
    इस अवधि में एक संचार माध्यम के रूप में इंटरनेट को माना जाने लगा| साथ ही सूचना के सुरक्षित आदान प्रदान व कंप्यूटर सुरक्षा पर भी उपयोगकर्ताओं ने ध्यान देना आरंभ किया| क्योंकि इसी अवधि में एक कंप्यूटर प्रोग्राम “Internet Worm” ने इंटरनेट से जुड़े लगभग 6000 कंप्यूटरों को अस्थाई रूप से अनुपयोगी बना दिया था|
    1988
    इंटरनेट व कंप्यूटर प्रोग्राम में इंटरनेट से जुड़े 6000 कंप्यूटरों को अस्थाई रुप से निष्क्रिय बना दिया| कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम कंप्यूटर नेटवर्क सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए बनाई गई|
    1989
    इंटरनेट से जुड़े कंप्यूटरों की संख्या एक लाख से ऊपर हो गई| BITNET तथा CSNET को मिलाकर कॉरपोरेशन फॉर रिसर्च एंड एजुकेशन नेटवर्किंग बनाया गया|
    1990
    अरपानेट को समाप्त कर दिया गया तथा नेटवर्क ऑफ नेटवर्क्स के रूप में इंटरनेट शेष रहा| जिसके की होस्ट कंप्यूटर की संख्या 300000 हो गई| पीटर डयुश, एलन एक्टेज व बिल हौलन ने ARCHIE को जारी किया| जिससे कि इंटरनेट के कंप्यूटरों पर उपलब्ध सामग्री को आसानी से प्राप्त किया जाने लगा
    1991 से 1993
    यही वह अवधि थी जिसमें कि इंटरनेट में सर्वाधिक ऊंचाइयों को छुआ| इंटरनेट का वाणिज्यिक उपयोग काफी बढ़ गया|
    1991
    • GOPHER को पॉल लिनडर व मार्क मैकहिल ने विकसित कर जारी किया|
    • वाइड एरिया इंफॉर्मेशन सरवर का विकास हुआ|
    • इंटरनेट पर प्रतिमा डाटा आदान प्रदान करने की मात्रा के लिए ट्रिलियन बाइट से भी अधिक हो गई|
    1992
    • इंटरनेट पर ऑडियो वीडियो को भेजा जाना संभव हुआ|
    • इंटरनेट सोसाइटी की स्थापना हुई|
    • वर्ल्ड वाइड वेब को टिम बर्नर्स ली ने विकसित किया|
    • एक लाख से अधिक होस्ट कंप्यूटर इंटरनेट से जुड़ गए|
    1993
    • MOSAIC  नामक पहला ग्राफिक आधारित वेब ब्राउज़र विकसित किया गया|
    • INTERNIC का गठन इंटरनेट संबंधित सर्विस को एकरूपता प्रदान करने व उनका प्रबंधन करने के उद्देश्य से किया गया|
    1994 से 1998
    • लगभग 40 मिलियन उपयोगकर्ता इंटरनेट से जुड़ गए तथा इंटरनेट युग का सूत्रपात इसी अवधि में हुआ|
    • इंटरनेट शॉपिंग का आरंभ हुआ|
    • विज्ञापनदाताओं ने इंटरनेट पर विज्ञापन देने आरंभ किए|
    1995
    • NSFNET पुनः रिसर्च कार्यों तक सीमित हो गया|
    • सन माइक्रोसिस्टम में इंटरनेट प्रोग्रामिंग भाषा जावा का विकास किया|
    1996
    • इंटरनेट से जुड़े कंप्यूटरों की संख्या 10 मिलियन से अधिक हो गई|
    • 150 से अधिक देशों को कंप्यूटर इंटरनेट से जुड़ गए|
    1997
    इंटरनेट में आम आदमियों के बीच अपनी पहचान बना ली तथा इसके बिना जिंदगी अधूरी सी प्रतीत होने लगी|
    1998
    • भारत में प्रत्येक स्थान पर इंटरनेट को पहुंचाने का प्रयास आरंभ हुआ|
    • नेशनल इन्फार्मेटिक्स पॉलिसी बनाई गई|
    1999 से अब तक
    अब इसमें अनेक संशोधन करके इसको और सरल बनाया गया| परिणाम यह निकला कि इस नेटवर्क के लिए एक मानक सुनिश्चित करके असैन्य कंपनियों के प्रयोग के लिए खोल दिया गया तथा अब इसमें सभी प्रकार की सूचनाओं को भी जोड़ा गया| इस प्रकार एक विस्तृत नेटवर्क का जन्म हुआ जिसे हम आज इंटरनेट के नाम से जानते हैं|