एक चीज है विकीलीक्स। आजकल बड़ा जोर से लीक हो रहेला है। बोलने को तो विकीलीक्स एक इंटरनेट साइट है, पर वास्तव में वो दुनिया का राजनीति का घड़ा है जो चारों बाजू से लीक हो रहेला है।
दुनिया में दो किसिम का देश माना जाता है - एक विकसित और दूसरा विकासशील। विकासशील देश का लोग यह माना करता था कि विकसित देश का कंस्ट्रक्शन मजबूत होता है। उसका सीमेंट में कोई मिलावट नहीं होता। उसका दूध में पानी नहीं होता, गरम मसाला में घोड़ा का लीद नहीं होता। लेकिन, इधर विकीलीक्स ने लीक करना चालू किया तो उधर पता चला कि विकसित देश का छलनी में पन बहोत छेद है। वो पन कम लीक नहीं होता है। आजकल तो विकसित देश का सिरफ छत ईच नहीं, तहखाना पन लीक हो रहेला है।
बड़ा लोग बुद्धि चतुर होता है। आम लोग, बड़ा लोग का बुद्धि चातुर्य से इतना प्रभावित हो जाता कि वो बड़ा लोग का बायोलॉजी भूल जाता है। भूल जाता है कि बड़ा लोग पन छोटा लोग का माफिक खाता है। पीता है। और टॉयलेट पन जाता है। बड़ा लोग जो कुछ करता है, बड़ा लेवल पर करता है। विकीलीक्स ने बताया है कि बड़ा लोग का टॉयलेट कितना बड़ा लेवल पर लीक होता है।
दुनिया में कोई ऐसा नहीं है जो गलती नहीं करता। विकीलीक्स ने पन किया। उसने लीक करके बताया कि हिंदुस्तान में न तो अपना शत्रु से निपटने का शक्ति है, न इच्छाशक्ति। ये बात लीक करने का क्या जरूरत था? ये बात तो हिंदुस्तान का लोग को तबसे पता है, जब ये देश का ऊपर पहला हमला हुआ था। मुट्ठी भर लोग आया और ये मुलुक का ऊपर छा गया। एक हमला सफल हुआ तो फिर तो लाइन लग गया। ये सब इतिहास में साफ-साफ लिखेला है। इसको बता कर विकीलीक्स ने बस अपना टाइम ईच खराब किया है। वैसे इतिहास में जो लोग हिंदुस्तान पर हावी हुआ, वो लोग का असलियत अब विकीलीक्स लीक कर रहा है। ये लीक बताता है कि हारने वाला और जीतने वाला, दोनों का बुनियादी राजनीति में कोई फरक नहीं होता। सब एक जैसा ईच लीक करता है।
राजनीति में न कोई परमानेंट दोस्त होता है, न कोई परमानेंट दुश्मन। सब परमानेंट धोखा देने वाला होता है। इस कारण जो राजनीति में होता है उसका मन में हमेशा यह तनाव बना रहता है कि पता नहीं कौन कब मेरे को धोखा दे देंगा। दूसरा देवे उसके पहले मैं ईच उसको धोखा दे देवे तो अच्छा रहेंगा। पहले धोखा देना - इसी को राजनीति बोलता है। आपने देखा होएंगा कि राजनेता लोग का चेहरा कितना सपाट होता है। उसका कारण ये है कि वो नहीं चाहता कि कोई ये समझ जावे कि अब वो किसको क्या धोखा देने वाला है। किसी राजनेता का चेहरा देख कर आप कभी ये पता नहीं लगा सकता कि उसका मन में क्या चल रहा है। उसका चेहरा पर जो भाव होता है, जरूरी नहीं कि मन में वो ईच विचार होवे। अकसर जब नेता का चेहरा पर करुणा दिख रहा होता है, वो मन में कमीशन काट रहा होता है। नेता लोग से बड़ा दलाल दुनिया में कोई नहीं होता। जो नीति बेच कर खा जाए, उससे बड़ा दलाल कोई हो पन कैसे सकता है!
विकीलीक्स ने दिखा दिया है कि नेता का रंग चाहे कैसा पन होवे - गोरा , काला या भूरा , राजनीति का रंग हमेशा काला ईच होता है। विकीलीक्स ने बता दिया है कि जब दो नेता गला मिलता है , तो वास्तव में वो किसी तीसरा का गला काटने की योजना बना रहा होता है। लेकिन , गला मिलने वाला को भी एक - दूसरा पर भरोसा नहीं होता। गला मिलते - मिलते वो एक दूसरा का गला काटने का योजना पन बनाता रहता है। विकीलीक्स राजनीति से नीति का लीक होने का कहानी है। ईमानदारी लीक होने का कहानी है। विश्वसनीयता लीक होने का कहानी है। राजनीति अब इतना खतरनाक हो गया है कि अब उस पर भरोसा करने का सोचने में पन डर लगता है। ये ईच विकीलीक्स का सा र है।
बाजारवाद की अंधी दौड़ ने समाज-जीवन के हर क्षेत्र को अपनी गिरफ्त में ले लिया है, खासकर, पत्रकारिता सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान पत्रकारिता ने जन-जागरण में अहम भूमिका निभाई थी लेकिन आज यह जनसरोकारों की बजाय पूंजी व सत्ता का उपक्रम बनकर रह गई है। मीडिया दिन-प्रतिदिन जनता से दूर हो रही है। यह चिंता का विषय है। आज पूंजीवादी मीडिया के बरक्स वैकल्पिक मीडिया की जरूरत रेखांकित हो रही है, जो दबावों और प्रभावों से मुक्त हो। विचार पंचायत इसी दिशा में एक सक्रिय पहल है।
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1 टिप्पणी:
badiya likha hai.....mujhe to shirshak bht jandar laga..
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