आजादी की 63 वी वर्षगाँठ पर हार्दिक बधाई, शुभकामनाये.ये दिन है आजादी का जश्न मनाने का, उन शहीदों और वीर पुरुष, महिलाओ को नमन करने का जिन्होंने हमें ये आजादी सौपी है, उन बहादुर सैनिको की याद में आँखे नम करने का जिन्होंने आजाद भारत के लिए अपनी शहादत दी है, उन लाखो सैनिको और जागरूक नागरिको को सलाम करने का जो देश को बुलंदियों की ओर जा रहे हैं.
कोई बात है इस देश की मिटटी में जिसकी खुशबु ही मर मिटने का जज्बा पैदा कर देती है, देश के लिए प्राण देने के वालो की फसल तैयार करती रहती है.हालाँकि वक़्त बदला है क्योंकि भारत मां अब बलिदान नहीं योगदान मांगती है. इसकी 1 अरब 20 करोड़ संताने ही इसकी ताकत हैं.कुछ बच्चे बिगड़ गए हैं लेकिन फिर भी इस भीड़ में लाखो भगत और बिस्मिल घूम रहे हैं जिनका एक ही धर्म है "भारतीय",एक ही जाति "भारतीय" एक ही मकसद है "स्वाबलंबी और मजबूत भारत"
भारतीय - एक शब्द जिसके आगे हर सम्मान, हर उपाधि, हर पुरुस्कार छोटा लगता है,
मुझे गर्व है कि मैं इस देश में पैदा हुआ जहाँ देवता भी जन्म लेने को तरसते हैं, मुझे गर्व है कि मैं भारतीय हूँ. आइये अपने इतिहास से प्रेरणा लेकर एक सुनहरा वर्तमान रचते हैं. जय हिंद
बाजारवाद की अंधी दौड़ ने समाज-जीवन के हर क्षेत्र को अपनी गिरफ्त में ले लिया है, खासकर, पत्रकारिता सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान पत्रकारिता ने जन-जागरण में अहम भूमिका निभाई थी लेकिन आज यह जनसरोकारों की बजाय पूंजी व सत्ता का उपक्रम बनकर रह गई है। मीडिया दिन-प्रतिदिन जनता से दूर हो रही है। यह चिंता का विषय है। आज पूंजीवादी मीडिया के बरक्स वैकल्पिक मीडिया की जरूरत रेखांकित हो रही है, जो दबावों और प्रभावों से मुक्त हो। विचार पंचायत इसी दिशा में एक सक्रिय पहल है।
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