मुस्लिम तुष्टिकरण को बढ़ावा देने के चलते देश में आतंकवाद फैल रहा है। धरती का स्वर्ग जम्मू-कश्मीर नरक के रूप में तब्दील हो गया है। घुसपैठियों को नागरिकता दिलाने की कोशिश की जा रही है, जबकि त्याग व सेवा के प्रतीक भगवा ध्वज को आतंक कहा जा रहा है।
भारत में स्वाधीनता के बाद भी अंग्रेजी कानून और मानसिकता जारी है। इसीलिए इस्लामी, ईसाई और वामपंथी आतंकवाद के सामने ‘भगवा आतंक’ का शिगूफा कांग्रेसी नेता छेड़ रहे हैं। इसकी आड़ में वे उन हिन्दू संगठनों को लपेटने के चक्कर में हैं, जिनकी देशभक्ति तथा सेवा भावना पर विरोधी भी संदेह नहीं करते। किसी समय इस झूठ मंडली की नेता सुभद्रा जोशी हुआ करती थीं; पर अब लगता है इसका भार चिदम्बरम और दिग्विजय सिंह ने उठा लिया है।
बाजारवाद की अंधी दौड़ ने समाज-जीवन के हर क्षेत्र को अपनी गिरफ्त में ले लिया है, खासकर, पत्रकारिता सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान पत्रकारिता ने जन-जागरण में अहम भूमिका निभाई थी लेकिन आज यह जनसरोकारों की बजाय पूंजी व सत्ता का उपक्रम बनकर रह गई है। मीडिया दिन-प्रतिदिन जनता से दूर हो रही है। यह चिंता का विषय है। आज पूंजीवादी मीडिया के बरक्स वैकल्पिक मीडिया की जरूरत रेखांकित हो रही है, जो दबावों और प्रभावों से मुक्त हो। विचार पंचायत इसी दिशा में एक सक्रिय पहल है।
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